क़ैसर-उल जाफ़री कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का क़ैसर-उल जाफ़री
नाम | क़ैसर-उल जाफ़री |
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अंग्रेज़ी नाम | Qaisar-ul-Jafri |
जन्म की तारीख | 1926 |
मौत की तिथि | 2005 |
जन्म स्थान | Mumbai |
ज़िंदगी ने मिरा पीछा नहीं छोड़ा अब तक
ज़िंदगी भर के लिए रूठ के जाने वाले
ये वक़्त बंद दरीचों पे लिख गया 'क़ैसर'
वो फूल जो मिरे दामन से हो गए मंसूब
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ मुझे
तुम से बिछड़े दिल को उजड़े बरसों बीत गए
तुम आ गए हो ख़ुदा का सुबूत है ये भी
तू इस तरह से मिरे साथ बेवफ़ाई कर
सावन एक महीने 'क़ैसर' आँसू जीवन भर
रास्ता देख के चल वर्ना ये दिन ऐसे हैं
रास्ता देख के चल वर्ना ये दिन ऐसे हैं
रक्खी न ज़िंदगी ने मिरी मुफ़लिसी की शर्म
मुसाफ़िर चलते चलते थक गए मंज़िल नहीं मिलती
मैं ज़हर पीता रहा ज़िंदगी के हाथों से
कितने दिनों के प्यासे होंगे यारो सोचो तो
कम से कम रेत से आँखें तो बचेंगी 'क़ैसर'
जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो
जिस दिन से बने हो तुम मसीहा
हवा ख़फ़ा थी मगर इतनी संग-दिल भी न थी
हर शख़्स है इश्तिहार अपना
घर लौट के रोएँगे माँ बाप अकेले में
फ़न वो जुगनू है जो उड़ता है हवा में 'क़ैसर'
दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है
दस्तक में कोई दर्द की ख़ुश्बू ज़रूर थी
बस्ती में है वो सन्नाटा जंगल मात लगे
आज बरसों में तो क़िस्मत से मुलाक़ात हुई
ये वो बस्ती ही नहीं
नीली जिल्द की किताब
ज़ुल्फ़ घटा बन कर रह जाए आँख कँवल हो जाए