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ज़ुल्फ़ों के साए में आ कर चैन मिला है पहली बार - क़ैसर सिद्दीक़ी कविता - Darsaal

ज़ुल्फ़ों के साए में आ कर चैन मिला है पहली बार

ज़ुल्फ़ों के साए में आ कर चैन मिला है पहली बार

मेरी प्यासी आँखों ने दरिया देखा है पहली बार

प्यार किसे कहते हैं ये एहसास हुआ है पहली बार

मेरे दिल में मीठा मीठा दर्द उठा है पहली बार

मेहंदी वाली चाहत का पैग़ाम मिला है पहली बार

उस ने अपने हाथ पे मेरा नाम लिखा है पहली बार

पहली बार सुनाई दी है दिल के धड़कने की आवाज़

देख के तेरी भोली सूरत दिल मचला है पहली बार

पहली बार तरस आया है उस को मेरी हालत पर

प्यार की नज़रों से वो मुझ को देख रहा है पहली बार

चाँद उतर आया है मेरे ख़्वाबों की अँगनाई में

घूँघट वाली रात का जादू दिल पे चला है पहली बार

उस के प्यार में 'क़ैसर' साहब आज तिलक मैं ज़िंदा हूँ

जिस ने मेरे अरमानों को क़त्ल किया है पहली बार

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In Hindi By Famous Poet Qaisar Siddiqi. is written by Qaisar Siddiqi. Complete Poem in Hindi by Qaisar Siddiqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.