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याद उस की है और चाँदनी है - क़ैस रामपुरी कविता - Darsaal

याद उस की है और चाँदनी है

याद उस की है और चाँदनी है

रात इक हादिसा बन गई है

ये मिरी शान-ए-बादा-कशी है

उस नज़र ने पिलाई तो पी है

तेरे ग़म ने मिरी ज़िंदगी को

लज़्ज़त-ए-ज़िंदगी बख़्श दी है

चुप भी हो जाओ ऐ लुटने वालो

रहनुमाओं पे बात आ गई है

ये तिरी हज्व-ए-बादा ही ज़ाहिद

वज्ह-ए-बादा-कशी बन गई है

अक़्ल क्या रहबरी कर सकेगी

जो हमेशा भटकती फिरी है

कितने माथों पे बल पड़ गए हैं

बात हक़ की जहाँ मैं ने की है

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In Hindi By Famous Poet Qais Rampuri. is written by Qais Rampuri. Complete Poem in Hindi by Qais Rampuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.