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वो लोग जिन को हयात अपनी ग़मों में डूबी हुई मिलेगी - क़ैस रामपुरी कविता - Darsaal

वो लोग जिन को हयात अपनी ग़मों में डूबी हुई मिलेगी

वो लोग जिन को हयात अपनी ग़मों में डूबी हुई मिलेगी

अगर मिरे साथ साथ आएँ तो इक नई ज़िंदगी मिलेगी

उन्हीं को हाँ बस उन्हीं को ऐ 'क़ैस' मंज़िल-ए-ज़िंदगी मलेगी

मुसीबतों के हुजूम में भी लबों पे जिन के हँसी मलेगी

क़फ़स की तारीक ख़ल्वतों पर हैं मो'तरिज़ क्यूँ ये अहल-ए-दुनिया

चमन में भी आशियाँ जलेंगे तो फिर कहीं रौशनी मिलेगी

मैं तेरी आँखों के आसरे पर ही मय-कदे से उठा था लेकिन

ये क्या ख़बर थी कि तेरी आँखों से और भी तिश्नगी मिलेगी

अगर उजालों की है तमन्ना न बुझने पाए चराग़ दिल का

कि दिल में जब रौशनी न होगी तो हर तरफ़ तीरगी मिलेगी

क़सम है तुम को मिरे मुक़द्दर की यूँ सवारो न अपनी ज़ुल्फ़ें

तुम्हीं अगर उलझनें न दोगे तो फिर कहाँ ज़िंदगी मिलेगी

ये लोग जो ख़ंदा-ज़न हैं मुझ पर इन्हें कुछ इस की ख़बर नहीं है

कि मेरी रूदाद-गुम-रही से ज़माने को रहबरी मिलेगी

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In Hindi By Famous Poet Qais Rampuri. is written by Qais Rampuri. Complete Poem in Hindi by Qais Rampuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.