हबीब-ए-माह-ए-कनआनी के सदक़े
हबीब-ए-माह-ए-कनआनी के सदक़े
मैं अपने यूसुफ़-ए-सानी के सदक़े
जबीं मेरी तरह दाग़-ए-ग़ुलामी
मैं इस नक़्श-ए-सुलैमानी के सदक़े
है आईना तिरी सूरत पे हैराँ
मैं आईने की हैरानी के सदक़े
सरापा बंदगी है किबरियाई
मैं इस तकमील-ए-इंसानी के सदक़े
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