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आप की संगत का ये अंदाज़ मन को भा गया - पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र" कविता - Darsaal

आप की संगत का ये अंदाज़ मन को भा गया

आप की संगत का ये अंदाज़ मन को भा गया

गर्दिश-ए-दौराँ में हम को मुस्कुराना आ गया

टूट कर बरसा जो बादल घुप अँधेरा छा गया

था उजाला दिन का लेकिन रौशनी को खा गया

क़ातिलों ने जिस्म मेरा रेज़ा रेज़ा कर दिया

ख़ून बिखरा रंग बन कर वादियाँ चमका गया

आग से तो बच गया मैं मौत आनी थी मगर

बचते बचते फिर भी मैं पानी से धोका खा गया

हम मोहब्बत में शिकस्ता-पा हुए तो ग़म नहीं

रफ़्ता-रफ़्ता दोस्तो तुम को तो चलना आ गया

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In Hindi By Famous Poet Purshottam Abbi "Azer". is written by Purshottam Abbi "Azer". Complete Poem in Hindi by Purshottam Abbi "Azer". Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.