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हम ने फूलों को जो देखा लब-ओ-रुख़्सार के ब'अद - पुरनम इलाहाबादी कविता - Darsaal

हम ने फूलों को जो देखा लब-ओ-रुख़्सार के ब'अद

हम ने फूलों को जो देखा लब-ओ-रुख़्सार के ब'अद

फूल देखे न गए हुस्न-ए-रुख़-ए-यार के ब'अद

काम नज़रों से लिया अबरू-ए-ख़मदार के ब'अद

तीर मारे मुझे उस शोख़ ने तलवार के ब'अद

जिस पे हो जाएँ फ़िदा कोई भी ऐसा न मिला

सैकड़ों देखे हसीं आप के दीदार के ब'अद

दिलरुबाई की अदा यूँ न किसी ने पाई

मेरे सरकार से पहले मिरे सरकार के ब'अद

ज़िंदगी मौत से कुछ कम न थी ऐ जान-ए-हयात

तेरे इक़रार से पहले तिरे इंकार के ब'अद

दिल-ओ-जाँ कर के फ़िदा उन को बनाया अपना

इश्क़ के खेल में जीत अपनी हुई हार के ब'अद

चैन फिर और कहीं पा न सके ऐ 'पुरनम'

हम ज़माने में फिरे कूचा-ए-दिलदार के ब'अद

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In Hindi By Famous Poet Purnam Allahabadi. is written by Purnam Allahabadi. Complete Poem in Hindi by Purnam Allahabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.