कू-ब-कू होता नहीं या दर-ब-दर होता नहीं
कू-ब-कू होता नहीं या दर-ब-दर होता नहीं
ख़ून-ए-नाहक़ किस तरफ़ शाम-ओ-सहर होता नहीं
हर शजर ऐ दीदा-ए-तर बारवर होता नहीं
हर सदफ़ की गोद में जैसे गुहर होता नहीं
सुनते आए हैं कि शर का बदला शर होता नहीं
आज-कल के दौर में ऐसा मगर होता नहीं
है मिरा होना न होना उस परिंदे की तरह
एक पर होता है जिस का एक पर होता नहीं
तेरे दीवाने को देखा है हमेशा सर-ब-कफ़
तेरे दीवाने का दिल होता है सर होता नहीं
आज-कल क्या कुछ नहीं होता ख़ुदा के नाम पर
आज-कल क्या कुछ ख़ुदा के नाम पर होता नहीं
मोहतरम क़ानून-साज़ो ये भी क्या क़ानून है
एक भी क़ानून आएद आप पर होता नहीं
(362) Peoples Rate This