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फ़ासला दैर-ओ-हरम के दरमियाँ रह जाएगा - प्रियदर्शी ठाकुर ‘ख़याल’ कविता - Darsaal

फ़ासला दैर-ओ-हरम के दरमियाँ रह जाएगा

फ़ासला दैर-ओ-हरम के दरमियाँ रह जाएगा

चाक सिल जाएँगे ये ज़ख़्म-ए-निहाँ रह जाएगा

हाथ से अपने तो धो लेगा लहू के दाग़ तू

देवता का पाक दामन ख़ूँ-फ़िशाँ रह जाएगा

चाँद थोड़ी देर में चल देगा अपने रास्ते

फिर सितारों के सहारे आसमाँ रह जाएगा

जाने वाले को मयस्सर हो गई ग़म से नजात

ग़म तो उस के हो रहेंगे जो यहाँ रह जाएगा

राख से मेरी चिता की उस की आँखों में 'ख़याल'

और ये दो चार दिन शोर-ए-फ़ुग़ाँ रह जाएगा

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In Hindi By Famous Poet Priyadarshi Thakur 'Khayal'. is written by Priyadarshi Thakur 'Khayal'. Complete Poem in Hindi by Priyadarshi Thakur 'Khayal'. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.