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पहले तो बहुत गर्दिश-ए-दौराँ से लड़ा हूँ - प्रेम वारबर्टनी कविता - Darsaal

पहले तो बहुत गर्दिश-ए-दौराँ से लड़ा हूँ

पहले तो बहुत गर्दिश-ए-दौराँ से लड़ा हूँ

अब किस की तमन्ना है जो मक़्तल में खड़ा हूँ

गो क़द्र मिरी बज़्म-ए-सुख़न में नहीं लेकिन

हीरे की तरह फ़न की अँगूठी में जड़ा हूँ

ख़ैरात में बाँटे थे जहाँ मैं ने सितारे

ख़ुद आज वहीं कासा-ए-शब ले के खड़ा हूँ

होता कोई पत्थर भी तो काम आता जुनूँ के

टूटा हुआ शीशा हूँ सर-ए-राह पड़ा हूँ

सिमटूँ तो किसी सीप के सीने में समा जाऊँ

ऐ 'प्रेम' जो फैलूँ तो समुंदर से बड़ा हूँ

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In Hindi By Famous Poet Prem Warbartani. is written by Prem Warbartani. Complete Poem in Hindi by Prem Warbartani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.