किस ने देखे होंगे अब तक ऐसे नए निराले पत्थर
किस ने देखे होंगे अब तक ऐसे नए निराले पत्थर
मैं ने अपने ताज-महल में चुनवाए हैं काले पत्थर
जो हीरों के रूप में दर दर अपने आँसू बाँट रहे हैं
उन फ़न-कारों पर फेंकेंगे कब तक दुनिया वाले पत्थर
जाने कौन थे जिन को जीवन-रुत से भीक मिली रंगों की
अपनी सूनी झोली में तो फूलों ने भी डाले पत्थर
मक़्तल की बे-रहम फ़सीलें सर तक आ पहुँची हैं आख़िर
मेरे जिस्म की दीवारों से अब तो कोई हटा ले पत्थर
प्यार तुम्हारा झूटा है और झूटा है भगवान भी शायद
वर्ना कुछ तो कहते बूढ़े मंदिर के रखवाले पत्थर
अपने अपने नाम के उजले शीश-महल की ख़ैर मनाओ
हर शोहरत की मुट्ठी में हैं रुस्वाई के काले पत्थर
ऐ धन्वानो तुम क्या जानो ज़ौक़-ए-इबादत क़द्र-ए-प्रसतिश
तुम सब हीरे मोती ले लो कर दो मिरे हवाले पत्थर
'प्रेम' इस युग की साल-गिरह पर और भला क्या तोहफ़ा देते
चाँद की दिलकश धरती से भी हम ने ढूँढ निकाले पत्थर
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