दर्स देता है शकेबाई का
दर्स देता है शकेबाई का
वो तिरा ज़ो'म मसीहाई का
ताइर-ए-दीद तमाशाई का
मो'तरिफ़ है तिरी गीराई का
है यही शरह-ए-हदीस-ए-आदम
ज़िंदगी नाम है रुस्वाई का
नक़्स-ए-परवाज़-ए-नज़र है वर्ना
आइना हूँ तिरी यकताई का
बन गया राह-नुमा-ए-मंज़िल
वो भटकना तिरे सौदाई का
तेरी महफ़िल की फ़ज़ा-ए-रंगीं
नक़्श जैसे कोई चुग़्ताई का
बन गया सोज़-ए-मोहब्बत 'फ़रहत'
इक हरीफ़ आतिश-ए-मीनाई का
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