Ghazals of Prem Shankar Goila Farhat
नाम | प्रेम शंकर गोयला फ़रहत |
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अंग्रेज़ी नाम | Prem Shankar Goila Farhat |
ये सहन-ओ-रविश ये शम्स-ओ-क़मर ये दश्त-ओ-बयाबाँ कुछ भी नहीं
तड़प कली की है ये इशरत-ए-नुमू के लिए
लुत्फ़ रहेगा हम-नशीं ज़ाहिद बा-वज़ू भी है
जब तबीअ'त सुकूँ से घबराई
हयात-ए-ला-उबाली मुझ को 'फ़रहत' साज़गार आई
गरेबान-ए-क़बा-ए-ज़ीस्त में इक तार बाक़ी है
एक जल्वा एक नग़्मा एक पैमाना अभी
दिल को नसीब ग़म की क़यादत नहीं रही
दर्स देता है शकेबाई का
अंजुमन-ए-बहार में नाज़-ए-बुताँ की बात कर