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आने वाला इंक़लाब आया नहीं - प्रेम कुमार नज़र कविता - Darsaal

आने वाला इंक़लाब आया नहीं

आने वाला इंक़लाब आया नहीं

क्या कोई अहल-ए-किताब आया नहीं

इस्म-ए-आज़म भी पढ़ा है बार बार

ग़ार से लेकिन जवाब आया नहीं

हो रहा है कुछ न कुछ ज़ेर-ए-ज़मीं

कोंपलें फूटीं गुलाब आया नहीं

रात भर फिर हिज्र का मौसम रहा

जिस को आना था वो ख़्वाब आया नहीं

ख़ुश्क-लब लौटे हैं क्यूँ सहरा-नवर्द

रास्ते में क्या सराब आया नहीं

मुझ को इक चश्मक थी सैल-ए-अश्क से

इस लिए मैं ज़ेर-ए-आब आया नहीं

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In Hindi By Famous Poet Prem Kumar Nazar. is written by Prem Kumar Nazar. Complete Poem in Hindi by Prem Kumar Nazar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.