Ghazals of Prem Kumar Nazar
नाम | प्रेम कुमार नज़र |
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अंग्रेज़ी नाम | Prem Kumar Nazar |
जन्म की तारीख | 1936 |
ज़ात में कर्ब हो और कर्ब का इज़हार न हो
ये क्या गली है जहाँ डरते डरते जाते हैं
वक़्त क़रीब है फिर मंज़र के बदलने का
उस तरफ़ क्या है ये कुछ खुलता नहीं
ऊँट सब वापस फिरे आगे कोई सहरा न था
उम्र भर शौक़ का दफ़्तर लिक्खा
तबीबो चारागरो तुम से जो हुआ सो हुआ
सूरज चढ़ा तो दिल को अजब वहम सा हुआ
क़दम क़दम पर की रुस्वाई फिसला हर इक ज़ीने पर
पागल हवा के दोश पे जिंस-ए-गिराँ न रख
मैं नज़र से एक अंदाज़-ए-नज़र होता हुआ
कुछ न कुछ अहद-ए-मोहब्बत का निशाँ रह जाए
ख़ुश्क हो जाए न झरने वाला
खा जाएगा ये जान को आज़ार देखना
हर-चंद कि था हिज्र में अंदेशा-ए-जाँ भी
है इख़्तियार में तेरे न मेरे बस में है
घड़ी घड़ी न मुझे पूछ एक ताज़ा सवाल
इक पल की दौड़ धूप में ऐसा थका बदन
दहन को ज़ख़्म ज़बाँ को लहू लहू करना
बीते बरस की याद का पैकर उतार दे
बदन की ओट से तकने लगा है
अजब दश्त-ए-हवस का सिलसिला है
आने वाला इंक़लाब आया नहीं