ख़ुद को कितनी देर मनाना पड़ता है
ख़ुद को कितनी देर मनाना पड़ता है
लफ़्ज़ों को जब रंग लगाना पड़ता है
चोटी तक पहुँची राहों से सीखो भी
कैसे पर्वत काट के आना पड़ता है
बच्चों की मुस्कान बहुत ही महँगी है
दो दो पैसे रोज़ बचाना पड़ता है
सच का कपड़ा फूल से हल्का होता है
झूट का पर्वत लाद के जाना पड़ता है
सूरज को गाली देने का फैशन है
छाँव की ख़ातिर पेड़ लगाना पड़ता है
दिल का क्या है जो कह दो सुन लेता है
आँखों को अक्सर समझाना पड़ता है
(414) Peoples Rate This