प्रताप सोमवंशी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का प्रताप सोमवंशी

प्रताप सोमवंशी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का प्रताप सोमवंशी
नामप्रताप सोमवंशी
अंग्रेज़ी नामPratap Somvanshi

ये जो इक लड़की पे हैं तैनात पहरे-दार सौ

ये जो चेहरे पे मुस्कुराहट है

वो पागल सब के आगे रो चुका है

उम्मीदों के पंछी के पर निकलेंगे

तू अगर बेटियाँ नहीं लिखता

तमाशे चुटकुले ताली में मत रख

सुबह से रात तक घर में बटी है

समय की धूप में कैसा भी ग़ुस्सा सूख जाता है

रियासत जब भी ढहती है नवासे दुख उठाते हैं

रिश्ते के उलझे धागों को धीरे धीरे खोल रही है

राम तुम्हारे युग का रावन अच्छा था

पास में रह के निगाहों से बचाए रखना

मेरे बच्चे फ़ुटपाथों से अदला-बदली कर आए हैं

लाएक़ कुछ नालायक़ बच्चे होते हैं

ख़ुद को कितनी देर मनाना पड़ता है

कैसे कह देता कोई किरदार छोटा पड़ गया

झूट कहूँ तो दिल तय्यार नहीं होता

इधर बातें छुपाने लग गया है

हर मौक़े की हर रिश्ते की ढेर निशानी उस के पास

चाँदी का बदन सोने का मन ढूँड रहा है

बुझा ली प्यास जो उस ने रहा नदी का नहीं

अम्माँ से मिले बीवी के ज़ेवर की तरह है

Pratap Somvanshi Poetry in Hindi - Read Best Poetry, Ghazals & Nazams by Pratap Somvanshi including Sad Shayari, Hope Poetry, Inspirational Poetry, Sher SMS & Sufi Shayari in Hindi written by great Sufi Poet Pratap Somvanshi. Free Download all kind of Pratap Somvanshi Poetry in PDF. Best of Pratap Somvanshi Poetry in Hindi. Pratap Somvanshi Ghazals and Inspirational Nazams for Students.