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छुपा कर अपनी करतूतें हुनर की बात करते हैं - प्रमोद शर्मा असर कविता - Darsaal

छुपा कर अपनी करतूतें हुनर की बात करते हैं

छुपा कर अपनी करतूतें हुनर की बात करते हैं

शजर को काटने वाले समर की बात करते हैं

जले हैं जो नशेमन राख पर उन की खड़े हो कर

जिन्हों ने फूँक डाले घर वो घर की बात करते हैं

अनासिर जिस के थे मेहर-ओ-वफ़ा शफ़क़त अदब ग़ैरत

उन्हें जो भूल बैठा उस बशर की बात करते हैं

घिरे हैं मुद्दतों से जो अँधेरों में मसाइब के

नहीं आती कभी जो उस सहर की बात करते हैं

सभी से बज़्म में हँस कर मिली बे-साख़्ता लेकिन

नहीं हम पर पड़ी जो उस नज़र की बात करते हैं

हुए तक़्सीम जब से दुश्मनी क़ाएम भी है लेकिन

उधर वाले हमारी हम उधर की बात करते हैं

नहीं है राब्ता जिन का 'असर' पैरों के छालों से

घरों से जो नहीं निकले सफ़र की बात करते हैं

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In Hindi By Famous Poet Pramod Sharma Asar. is written by Pramod Sharma Asar. Complete Poem in Hindi by Pramod Sharma Asar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.