आदमी थे शय हुए सौदा हुए
बद हुए बद-तर हुए बे-जा हुए
कम हुए कम-तर हुए फिर ना हुए
इस तरह हम इश्क़ में ज़ाया हुए
Anwar Masood
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
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तीरगी की अपनी ज़िद है जुगनुओं की अपनी ज़िद
तेरी दौलत रह जाएगी तेरे घर चौबारों तक
मंगल को बजरंग-बली से तेरा शुक्र मनाऊँ
बच-बचा कर जब कहा तारीफ़ मैं कम पड़ गया
जब मुश्किल हालात लगे
ठोकरों से बिखर नहीं सकती
दोनों जानिब क़ैद-शुदा इस ख़ुश-फ़हमी में रहते हैं
गोरख-धंधा हो जाऊँ क्या?
जो हम तेरी आँखों के तारे हुए हैं
नया अब सिलसिला जोड़ा न जाए
मिरी आँखों से हिजरत का वो मंज़र क्यूँ नहीं जाता