वक़्त-ए-निकाह हम भी थे दूल्हा बने हुए
बुलवाया औरतों ने सलामी के वास्ते
हम रुख़्सती के वक़्त यही कह के चल पड़े
लाई हयात आए क़ज़ा ले चली चले
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Wasi Shah
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Rahat Indori
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Love Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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डाकुओं की कांफ्रेंस
आठवाँ शौहर
नया बंजारा-नामा
नुजूमी
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
इस मर्तबा भी आए हैं नंबर तिरे तो कम
बद-दुआ
सैलाब-ए-बला
क़ुर्बानी
चालाक
गले-बाज़ शायर
नौकर