शिकारी

मिरे यारों में हुआ करते हैं चर्चे मिरे

मेरा फ़न वो है कि क़ाइल है ज़माना मेरा

अपने बच्चे से ये कहता था शिकारी अक्सर

कभी ख़ाली नहीं जाता है निशाना मेरा

बच्चे के साथ वो इक रोज़ चले बहर-ए-शिकार

अपना फ़न बच्चा-ए-कमसिन को दिखाने के लिए

तीर का रुख़ किया उड़ते हुए बगुले की तरफ़

वो पशेमाँ हुए नाकाम निशाने के लिए

अपने नाकाम निशाने पे जो शर्मिंदा हुए

अपने बच्चे से कहा झेंप मिटाने के लिए

मुर्दा बगुला भी फ़ज़ाओं में उड़ा करता है

पहली बार आज ये देखी है करामत मैं ने

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In Hindi By Famous Poet Popular Meeruthi. is written by Popular Meeruthi. Complete Poem in Hindi by Popular Meeruthi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.