आठवाँ शौहर
कुँवारे बूढ़े ने शादी की ऐसी औरत से
किसी तरह भी जो कुछ कम न थी क़यामत से
नसीब वाली थी छे शादी कर चुकी थी वो
अब अपने सातवें शौहर की ज़िंदगी थी वो
कुछ ऐसा सातवाँ शौहर भी हो गया बीमार
यक़ीं था सब को कि ये भी अजल का होगा शिकार
ये बात सोच के औरत ग़रीब रोने लगी
पछाड़ मार के होश-ओ-हवास खोने लगी
ग़मों की ओट से उस ने कहा ये शौहर से
बताओ तुम मुझे किस के सहारे छोड़ चले
ये सुन के बोल उठा उस से बे-ज़बाँ शौहर
सुकून बख़्शे तुम को अब आठवाँ शौहर
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