उस की ख़्वाहिश है कि अब लोग न रोएँ न हँसें
बे-हिसी वक़्त की आवाज़ बना दी जाए
Rahat Indori
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Wasi Shah
Gulzar
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(689) Peoples Rate This
कौन गुमाँ यक़ीं बना कौन सा घाव भर गया
ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं
मैं कब से अपनी तलाश में हूँ मिला नहीं हूँ
शहर तलब करे अगर तुम से इलाज-ए-तीरगी
दिल अगर कुछ माँग लेने की इजाज़त माँगता
ज़िंदगी ने झेले हैं सब अज़ाब दुनिया के
नज़र में नित-नई हैरानियाँ लिए फिरिए
अब हर्फ़-ए-तमन्ना को समाअत न मिलेगी
अयाँ हम पर न होने की ख़ुशी होने लगी है
ज़ख़्म दबे तो फिर नया तीर चला दिया करो
चराग़ हूँ कब से जल रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए
एक से सिलसिले हैं सब हिज्र की रुत बता गई