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ज़िंदगी ने झेले हैं सब अज़ाब दुनिया के - पीरज़ादा क़ासीम कविता - Darsaal

ज़िंदगी ने झेले हैं सब अज़ाब दुनिया के

ज़िंदगी ने झेले हैं सब अज़ाब दुनिया के

बस रहे हैं आँखों में फिर भी ख़्वाब दुनिया के

दिल बुझे तो तारीकी दूर फिर नहीं होती

लाख सर पे आ पहुँचें आफ़्ताब दुनिया के

दश्त-ए-बे-नियाज़ी है और मैं हूँ अब लोगो

इस जगह नहीं आते बारयाब दुनिया के

मैं ने इन हवाओं से दास्तान-ए-ग़म कह दी

देखते रहे हैराँ सब हिजाब दुनिया के

देखें चश्म-ए-हैराँ क्या इंतिख़ाब करती है

मैं किताब-ए-तन्हाई तुम निसाब दुनिया के

हम ने दस्त-ए-दुनिया पर फिर भी की नहीं बैअत

जानते थे हम तेवर हैं ख़राब दुनिया के

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In Hindi By Famous Poet Pirzada Qasim. is written by Pirzada Qasim. Complete Poem in Hindi by Pirzada Qasim. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.