नज़र में नित-नई हैरानियाँ लिए फिरिए

नज़र में नित-नई हैरानियाँ लिए फिरिए

सरों पे रोज़ नया आसमाँ लिए फिरिए

अब इस फ़ज़ा की कसाफ़त में क्यूँ इज़ाफ़ा हो

ग़ुबार-ए-दिल है सो दिल में निहाँ लिए फिरिए

यही बचा है सो अब ज़ीस्त की गवाही में

यही निशान-ए-दिल-ए-बे-निशाँ लिए फिरिए

क़रार-ए-जाँ तो सर-ए-कू-ए-यार छोड़ आए

मता-ए-ज़ीस्त है लेकिन कहाँ लिए फिरिए

अजब हुनर है कि दानिश्वरी के पैकर में

किसी का ज़ेहन किसी ज़बाँ लिए फिरिए

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In Hindi By Famous Poet Pirzada Qasim. is written by Pirzada Qasim. Complete Poem in Hindi by Pirzada Qasim. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.