Ghazals of Pirzada Qasim
नाम | पीरज़ादा क़ासीम |
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अंग्रेज़ी नाम | Pirzada Qasim |
जन्म की तारीख | 1943 |
जन्म स्थान | Karachi |
ज़िंदगी ने झेले हैं सब अज़ाब दुनिया के
ज़िंदगी ने झेले हैं सब अज़ाब दुनिया के
ज़ख़्म दबे तो फिर नया तीर चला दिया करो
सानेहा नहीं टलता सानेहे पे रोने से
नज़र में नित-नई हैरानियाँ लिए फिरिए
मैं कब से अपनी तलाश में हूँ मिला नहीं हूँ
ख़ून से जब जला दिया एक दिया बुझा हुआ
ख़िर्मन-ए-जाँ के लिए ख़ुद ही शरर हो गए हम
कौन गुमाँ यक़ीं बना कौन सा घाव भर गया
घर की जब याद सदा दे तो पलट कर आ जाएँ
ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं
एक से सिलसिले हैं सब हिज्र की रुत बता गई
दिल अगर कुछ माँग लेने की इजाज़त माँगता
चराग़ हूँ कब से जल रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए
अयाँ हम पर न होने की ख़ुशी होने लगी है
अदाकारी में भी सौ कर्ब के पहलू निकल आए
अब हर्फ़-ए-तमन्ना को समाअत न मिलेगी
आवाज़ में आवाज़ मिलाते ही रहे हम