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सीना है एक यास का सहरा लिए हुए - पिन्हाँ सिपहर आरा ख़ातून कविता - Darsaal

सीना है एक यास का सहरा लिए हुए

सीना है एक यास का सहरा लिए हुए

दिल रंग-ए-गुलसितान-ए-तमन्ना लिए हुए

है आह दर्द-ओ-सोज़ की दुनिया लिए हुए

तूफ़ान-ए-अश्क-ए-ख़ून है गिर्या लिए हुए

इक कुश्ता-ए-फ़िराक़ की तुर्बत पे नौहागर

दाग़-ए-जिगर में शम-ए-तमन्ना लिए हुए

मैं इक तरफ़ हूँ शक्ल-ए-ख़िज़ाँ पाएमाल-ए-यास

इक सम्त वो बहार का जल्वा लिए हुए

जाना सँभल के ऐ दिल-ए-बेताब बज़्म में

है चश्म-ए-नाज़ महशर-ए-ग़म-ज़ा लिए हुए

सोज़ाँ न ये चमन हो मिरे नूर-ए-आह से

ओ गुलशन-ए-जमाल का जल्वा लिए हुए

मजनूँ से तो हक़ीक़त-ए-सहरा-ए-नज्द पूछ

है ज़र्रा ज़र्रा जल्वा-ए-लैला लिए हुए

इश्क़-ए-जुनूँ-नवाज़ रहा बज़्म-ए-नाज़ में

इक इज़तिराब-ओ-शौक़ की दुनिया लिए हुए

मेरी तो हर निगाह है वक़्फ़-ए-उबूदियत

वो हर अदा में हुस्न-ए-कलीसा लिए हुए

मरहम से बे-नियाज़ है 'पिंहाँ' ये ज़ख़्म-ए-दिल

क्या क्या फ़ुसूँ है चश्म-ए-दिल-आरा लिए हुए

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In Hindi By Famous Poet Pinhaan Sipher Ara Khatoon. is written by Pinhaan Sipher Ara Khatoon. Complete Poem in Hindi by Pinhaan Sipher Ara Khatoon. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.