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नॉस्टेलजिया - परवेज़ शहरयार कविता - Darsaal

नॉस्टेलजिया

वक़्त कभी ठहरता नहीं

समुंदर की लहरों की तरह

मुतवातिर चलता रहता है

लेकिन

तारीक दलदल में फँसे हुए लम्हे

इन साअतों का इर्तिआश

चंद सानिए के सरगम के साए

तमाम उम्र रूह में पैवस्त हो कर

इंसान का तआक़ुब करते रहते हैं

रहम-ए-मादर की शिरयानें जैसे

बहरें मौजों के मुहीब साए की तरह

मकीन-ए-रहम के नन्हे वजूद को

ढूँढती हैं बार बार

मुड़ मुड़ के पीछे देखती हैं अश्क-बार

मगर

गुज़रा हुआ लम्हा बाद-ए-नसीम का इक झोंका

आता नहीं दोबारा

कभी ठहरता नहीं है आब-ए-रवाँ

ठहरती हैं तो सिर्फ़ यख़-बस्ता यादें और

चंद सानिए के लिए

तारीक दलदल से मुसलसल

बरामद होने वाला

सात सुरों का सरगम

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In Hindi By Famous Poet Perwaiz Shaharyar. is written by Perwaiz Shaharyar. Complete Poem in Hindi by Perwaiz Shaharyar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.