जब उस ने मिरा ख़त न छुआ हाथ से अपने
क़ासिद ने भी चिपका दिया दीवार से काग़ज़
Gulzar
Anwar Masood
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Habib Jalib
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(385) Peoples Rate This
जाता है कौन आप से जल्लाद की तरफ़
कौन कहता है तुम अदा न करो
कुंदनी रंग का मैं कुश्ता हूँ
सुना है अर्श-ए-इलाही इसी को कहते हैं
बहार आई कर ऐ बाग़बाँ गुलाब क़लम
आए हैं बादा-नोश बड़ी आन-बान पर
न तो मैं हूर का मफ़्तूँ न परी का आशिक़
किसी की ज़ुल्फ़ के सौदे में रात की है बसर
है ख़ाक-बसर सबा मिरे बा'द
तिरे अबरू पे बल आया तो होता