पीर शेर मोहम्मद आजिज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का पीर शेर मोहम्मद आजिज़

पीर शेर मोहम्मद आजिज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का पीर शेर मोहम्मद आजिज़
नामपीर शेर मोहम्मद आजिज़
अंग्रेज़ी नामPeer Sher Mohammad Ajiz

ज़ीस्त ने मुर्दा बना रक्खा था मुझ को हिज्र में

सुना है अर्श-ए-इलाही इसी को कहते हैं

शब-ए-वस्ल आज वो ताकीद करते हैं मोहब्बत से

फट जाते हैं ज़ख़्म-ए-दिल-ए-बेताब के अंगूर

नाख़ुन का रंग सीना-ख़राशी से ये हुआ

न तो मैं हूर का मफ़्तूँ न परी का आशिक़

कुंदनी रंग का मैं कुश्ता हूँ

किसी की ज़ुल्फ़ के सौदे में रात की है बसर

जब उस ने मिरा ख़त न छुआ हाथ से अपने

तिरे अबरू पे बल आया तो होता

न तो मैं हूर का मफ़्तूँ न परी का आशिक़

कौन कहता है तुम अदा न करो

जाता है कौन आप से जल्लाद की तरफ़

है ख़ाक-बसर सबा मिरे बा'द

ग़ुंचे को है तिरे दहन की हिर्स

बहार आई कर ऐ बाग़बाँ गुलाब क़लम

आए हैं बादा-नोश बड़ी आन-बान पर

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