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कभी नग़्मा-ए-ग़म-ए-आरज़ू कभी ज़िंदगी की पुकार हम - पयाम फ़तेहपुरी कविता - Darsaal

कभी नग़्मा-ए-ग़म-ए-आरज़ू कभी ज़िंदगी की पुकार हम

कभी नग़्मा-ए-ग़म-ए-आरज़ू कभी ज़िंदगी की पुकार हम

कभी ख़ाक-ए-कूचा-ए-यार हम कभी शहरयार-ए-बहार हम

कभी चल पड़े तिरी राह में तो हद-ए-जुनूँ से गुज़र गए

तिरे इंतिज़ार में हो गए कभी नक़्श-ए-राह-गुज़ार हम

हमें कुश्तगान-ए-हयात से हैं जुनून-ए-इश्क़ की अज़्मतें

कभी हँस पड़े तह-ए-तेग़ हम कभी झूम उठे सर-ए-दार हम

रहे मुज़्तरिब कभी मुद्दतों ग़म-ए-दहर की कड़ी धूप में

जो सुकूँ मिला है तो सो लिए कभी ज़ेर-ए-गेसू-ए-यार हम

तुझे पा सकें कि न पा सकें कोई ज़िंदगी की लगन तो है

कि ख़ुशी से कैसे उजाड़ दें तिरी आरज़ू का दयार हम

ग़म-ए-ज़िंदगी से शिकस्त क्या रह-ए-आरज़ू में क़दम बढ़ा

तू जो साथ हो तो बदल भी दें ये मिज़ाज-ए-लैल-ओ-नहार हम

कभी पास आ के निगाह कर है ये ज़िंदगी तिरा आइना

तिरा रूप हम तिरा प्यार हम तिरी आरज़ू का सिंगार हम

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In Hindi By Famous Poet Payam Fatehpuri. is written by Payam Fatehpuri. Complete Poem in Hindi by Payam Fatehpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.