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हैरत है जिन्हें मेरी तरक़्क़ी पे जलन भी - पवन कुमार कविता - Darsaal

हैरत है जिन्हें मेरी तरक़्क़ी पे जलन भी

हैरत है जिन्हें मेरी तरक़्क़ी पे जलन भी

हैं उन में नए दोस्त भी यारान-ए-कुहन भी

होती थी कभी महफ़िल-ए-अहबाब में रौनक़

तारी है वहाँ अब तो उदासी भी घुटन भी

साथ उस का निभाता हूँ तो ये मेरा हुनर है

वो शख़्स ब-यक-वक़्त है पानी भी अगन भी

हँसते हुए चेहरे पे भी आती है उदासी

है चाँद की तक़दीर में थोड़ा सा गहन भी

इस राह-ए-मोहब्बत की है इतनी सी कहानी

इस राह में आए हैं बयाबाँ भी चमन भी

मंज़िल के लिए मुझ को मिले हैं जो शरारे

शामिल है उन्हीं में मिरे पैरों की थकन भी

बे-नाम से कुछ दर्द यहाँ ठहरे हुए हैं

है एक सराए की तरह अपना बदन भी

अब तर्क-ए-तअल्लुक़ का असर दोनों तरफ़ है

शर्मिंदा जो तू है तो पशेमाँ है 'पवन' भी

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In Hindi By Famous Poet Pawan Kumar. is written by Pawan Kumar. Complete Poem in Hindi by Pawan Kumar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.