जिन के होंटों पे हँसी पाँव में छाले होंगे
जिन के होंटों पे हँसी पाँव में छाले होंगे
हाँ वही लोग तुम्हें चाहने वाले होंगे
मय बरसती है फ़ज़ाओं पे नशा तारी है
मेरे साक़ी ने कहीं जाम उछाले होंगे
शम्अ वो लाए हैं हम जल्वा-गाह-ए-जानाँ से
अब दो-आलम में उजाले ही उजाले होंगे
उन से मफ़्हूम-ए-ग़म-ए-ज़ीस्त अदा हो शायद
अश्क जो दामन-ए-मिज़्गाँ ने सँभाले होंगे
हम बड़े नाज़ से आए थे तिरी महफ़िल में
क्या ख़बर थी लब-ए-इज़हार पे ताले होंगे
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