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परवेज़ शाहिदी Rubaai In Hindi - Best परवेज़ शाहिदी Rubaai Shayari & Poems - Darsaal

Rubaais of Parvez Shahidi

Rubaais of Parvez Shahidi
नामपरवेज़ शाहिदी
अंग्रेज़ी नामParvez Shahidi
जन्म की तारीख1910
मौत की तिथि1968

ज़ुल्मत का तिलिस्म तोड़ कर लाया हूँ

सुन सकते हो नग़्मा आज भी तुम मेरा

सय्यारों में साहिल है वो अज़्मत तुझ को

सैलाब-ए-बला रक़्स न फ़रमाए कहीं

सहराओं की बात ज़ारों में कही

सहमे सहमे दिलों में हिम्मत जागी

रोता ही रहूँगा मुस्कुराने तो दो

रिंदों में नहीं कोई रक़ाबत साक़ी

नालों से कभी नाम न लूँगा ऐ दोस्त

मस्ती में नज़र चमक रही है साक़ी

मैं मुंकिर-ए-अस्लाफ़ नहीं हूँ यारो

लज़्ज़त में ख़ुदी की खो गया है ज़ाहिद

क्या रंग-ए-ज़मीन-ओ-आसमाँ है साक़ी

कश्ती-ए-हयात खे सकूँगा क्यूँ-कर

इस्मत पे तिरी निसार होना है मुझे

होंटों को शराब अब पिला दे साक़ी

हर पत्ते में इक धार लिए चटकेंगे

दिल ही की तरह मुँह भी है काला देखो

बुलबुल की ज़बाँ तक जला डाली है

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