बाँध कर कफ़न सर से यूँ खड़ा हूँ मक़्तल में
जैसे सरफ़रोशों का कारवाँ बनाना है
अपने सुर्ख़ होंटों की मुस्कुराहटें दे दो
बिजलियों की यूरिश में आशियाँ बनाना है
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मंज़िल भी मिलेगी रस्ते में तुम राहगुज़र की बात करो
याद हैं आप के तोड़े हुए पैमाँ हम को
सैलाब-ए-बला रक़्स न फ़रमाए कहीं
जलते रहना काम है दिल का बुझ जाने से हासिल क्या
सहमे सहमे दिलों में हिम्मत जागी
गीत हरियाली के गाएँगे सिसकते हुए खेत
मिरी ज़िंदगी की ज़ीनत हुई आफ़त-ओ-बला से
मस्ती में नज़र चमक रही है साक़ी
ज़ुल्मत का तिलिस्म तोड़ कर लाया हूँ
शिकायत कर रहे हैं सज्दा-हा-ए-राएगाँ मुझ से
साग़र-ए-सिफ़ालीं को जाम-ए-जम बनाया है