दिल ही की तरह मुँह भी है काला देखो
इस पर नमाज़ का ये उजाला भी देखो
बिस्तर ही पे सर टेक रही है ज़ालिम
दम तोड़ती दौलत का सँभाला देखो
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Rahat Indori
Allama Iqbal
Gulzar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(891) Peoples Rate This
सय्यारों में साहिल है वो अज़्मत तुझ को
नालों से कभी नाम न लूँगा ऐ दोस्त
मस्ती में नज़र चमक रही है साक़ी
मंज़िल भी मिलेगी रस्ते में तुम राहगुज़र की बात करो
मिरी ज़िंदगी की ज़ीनत हुई आफ़त-ओ-बला से
ऐ बे-दिलो हरीफ़-ए-शब-ए-तार क्यूँ हुए
लज़्ज़त में ख़ुदी की खो गया है ज़ाहिद
मौक़ा-ए-यास कभी तेरी नज़र ने न दिया
हर पत्ते में इक धार लिए चटकेंगे
छुप कर न रह सके निगह-ए-अहल-ए-फ़न से हम
गीत हरियाली के गाएँगे सिसकते हुए खेत