Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7e4e02c11faf0a107ea1f2dcc54e3580, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शिकायत कर रहे हैं सज्दा-हा-ए-राएगाँ मुझ से - परवेज़ शाहिदी कविता - Darsaal

शिकायत कर रहे हैं सज्दा-हा-ए-राएगाँ मुझ से

शिकायत कर रहे हैं सज्दा-हा-ए-राएगाँ मुझ से

न देखा जाएगा अब सू-ए-संग-ए-आस्ताँ मुझ से

है कल की बात शर्मिंदा था हुस्न-ए-राएगाँ मुझ से

ये जल्वे माँगते थे इक निगाह-ए-मेहरबाँ मुझ से

नज़र रख कर क़नाअत कर रहा हूँ मैं तसव्वुर पर

ये जल्वे चाहते हैं और क्या क़ुर्बानियाँ मुझ से

मोहब्बत मेरी बढ़ कर आ गई है बद-गुमानी तक!

मज़ा आ जाए हो जाएँ जो वो भी बद-गुमाँ मुझ से

मशिय्यत चाहती थी मुझ को महव-ए-ख़्वाब में रखना

मैं क्या करता न रोकी जा सकीं अंगड़ाइयाँ मुझ से

करिश्मे क़ुदरत-ए-मुतलक़ के हैं बाला-ए-शक लेकिन

मैं जब जानूँ कि बढ़ कर छीन लें मजबूरियाँ मुझ से

जुनूँ-जौलान-ए-दश्त-ए-जुस्तुजू हूँ क्या ख़बर इस की

मिली मंज़िल कहाँ मुझ को छुटी मंज़िल कहाँ मुझ से

(497) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Parvez Shahidi. is written by Parvez Shahidi. Complete Poem in Hindi by Parvez Shahidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.