Ghazals of Parvez Shahidi
नाम | परवेज़ शाहिदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Parvez Shahidi |
जन्म की तारीख | 1910 |
मौत की तिथि | 1968 |
ज़िंदगी ने फ़स्ल-ए-गुल को भी पशेमाँ कर दिया
ये सुम्बुल-ओ-नस्रीं मेरे हैं ये सेहन-ए-गुलिस्ताँ मेरा है
तुम ख़ुनुक जज़्बा हो बे-ताबी-ए-फ़न क्या जानो?
सुना है उन के लब पर कल था ज़िक्र-ए-मुख़्तसर मेरा
शिकायत कर रहे हैं सज्दा-हा-ए-राएगाँ मुझ से
साग़र-ए-सिफ़ालीं को जाम-ए-जम बनाया है
निपटेंगे दिल से मार्का-ए-रह-गुज़र के ब'अद
मौक़ा-ए-यास कभी तेरी नज़र ने न दिया
मंज़िल भी मिलेगी रस्ते में तुम राहगुज़र की बात करो
ख़ामोशी बोहरान-ए-सदा है तुम भी चुप हो हम भी चुप
जलते रहना काम है दिल का बुझ जाने से हासिल क्या
फ़सुर्दा है इल्म हर्फ़-हा-ए-किताब भी बुझ के रह गए हैं
दिल की धड़कनों से इक दास्ताँ बनाना है
छुप कर न रह सके निगह-ए-अहल-ए-फ़न से हम
बुत-गरी-ए-जमाल में गुज़रा
ऐ बे-दिलो हरीफ़-ए-शब-ए-तार क्यूँ हुए