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धूप में बैठे हैं बच्चे हाथ में छागल लिए - परवेज़ बज़्मी कविता - Darsaal

धूप में बैठे हैं बच्चे हाथ में छागल लिए

धूप में बैठे हैं बच्चे हाथ में छागल लिए

सो गईं शायद हवाएँ गोद में बादल लिए

आ रहा है चुप के तालाबों में पत्थर फेंकता

इक जुलूस-ए-कौदकाँ को साथ इक पागल लिए

इन अँधेरी बस्तियों में रख न दरवाज़ा खुला

कौन आता है यहाँ अपनाई की मशअ'ल लिए

ज़ात में गुम-सुम यूँही सड़कों पे दिन भर घूमना

और शब को सोचना पहलू में दिल बे-कल लिए

क्या अजब उस पर महक ही जाएँ दरमाँ के गुलाब

है तो इक शाख़-ए-नज़र उम्मीद की कोंपल लिए

आज तक बे-सम्तियों की रह-रवी ने क्या दिया

अब ज़रा दम ले भी लो 'बज़्मी' बहुत कुछ चल लिए

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In Hindi By Famous Poet Parvez Bazmi. is written by Parvez Bazmi. Complete Poem in Hindi by Parvez Bazmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.