ठहर जाओ बोसे लेने दो न तोड़ो सिलसिला
एक को क्या वास्ता है दूसरे के काम से
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Allama Iqbal
Gulzar
Javed Akhtar
Wasi Shah
Parveen Shakir
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(421) Peoples Rate This
मुझे जब मार ही डाला तो अब दोनों बराबर हैं
अगर लोहे के गुम्बद में रखेंगे अक़रबा उन को
दिल पुकारा फँस के कू-ए-यार में
कभी न जाएगा आशिक़ से देख-भाल का रोग
दिए जाएँगे कब तक शैख़-साहिब कुफ़्र के फ़तवे
मेरी इज़्ज़त बढ़ गई इक पान में
बाज़ी पे दिल लगा है कोई दिल-लगी नहीं
कुछ तो कमी हो रोज़-ए-जज़ा के अज़ाब में
बाल रुख़्सारों से जब उस ने हटाए तो खुला
बद-क़िस्मतों को गर हो मयस्सर शब-ए-विसाल
गर आप पहले रिश्ता-ए-उल्फ़त न तोड़ते
नए ग़म्ज़े नए अंदाज़ नज़र आते हैं