मर चुका मैं तो नहीं इस से मुझे कुछ हासिल
बरसे गिर पानी की जा आब-ए-बक़ा मेरे बा'द
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Anwar Masood
Gulzar
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(419) Peoples Rate This
ऐ सबा चलती है क्यूँ इस दर्जा इतराई हुई
है अपने क़त्ल की दिल-ए-मुज़्तर को इत्तिलाअ
अब कोई तिरा मिस्ल नहीं नाज़-ओ-अदा में
ठहर जाओ बोसे लेने दो न तोड़ो सिलसिला
महफ़िल में ग़ैर ही को न हर बार देखना
मेरी इज़्ज़त बढ़ गई इक पान में
अगर लोहे के गुम्बद में रखेंगे अक़रबा उन को
बाज़ी पे दिल लगा है कोई दिल-लगी नहीं
इक अदना सा पर्दा है इक अदना सा तफ़ावुत
पहलू-ओ-पुश्त-ओ-सीना-ओ-रुख़्सार आइना
ग़रीब आदमी को ठाट पादशाही का
न आया कर के व'अदा वस्ल का इक़रार था क्या था