Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_fca59fe987606fedb12d1cd7174c58c7, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दिल में तीर-ए-इश्क़ है और फ़र्क़ पर शमशीर-ए-इश्क़ - परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़ कविता - Darsaal

दिल में तीर-ए-इश्क़ है और फ़र्क़ पर शमशीर-ए-इश्क़

दिल में तीर-ए-इश्क़ है और फ़र्क़ पर शमशीर-ए-इश्क़

क्या बताएँ पड़ गई है पाँव में ज़ंजीर-ए-इश्क़

देखने वाले ये कहते हैं किताब-ए-दहर में

तू सरापा हुस्न का नक़्शा है मैं तस्वीर-ए-इश्क़

कोहकन और क़ैस मिल जाएँ तो मैं उन से कहूँ

ले गए क्या साथ ही क़ब्रों में तुम तासीर-ए-इश्क़

वाह-रे इंसाफ़ इतना भी न वाँ पूछा गया

ये क़ुसूर-ए-हुस्न है या अस्ल में तासीर-ए-इश्क़

बात करने से भी नफ़रत हो गई दिलदार को

वाह-रे इज़हार-ए-उल्फ़त वाह-रे तासीर-ए-इश्क़

क्या सबब क्या वज्ह क्यूँ आ कर निकल जाए शिकार

क्यूँ निशाना पर न जाएगा हमारा तीर-ए-इश्क़

पहले अपना सर क़लम करवाए फिर तय्यार हो

हर किसी का काम है जो लिख सके तफ़्सीर-ए-इश्क़

दौलत-ए-दीदार हस्ब-ए-मुद्दआ हासिल हुई

मिल गई जिस शख़्स को तक़दीर से इक्सीर-ए-इश्क़

हुस्न-ए-जानाँ की कशिश दुनिया में बाक़ी रह गई

बद-नसीबी से हमारी उड़ गई तासीर-ए-इश्क़

तू भी गुल के आईने पर खींच दे तस्वीर-ए-हुस्न

मैं भी बुलबुल को सुनाऊँ बाग़ में तक़रीर-ए-इश्क़

क्या शिकायत उस की 'परवीं' ये तो होती आई है

पहले उल्फ़त की थी इज़्ज़त और न अब तौक़ीर-ए-इश्क़

(375) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Parveen Umm-e-Mushtaq. is written by Parveen Umm-e-Mushtaq. Complete Poem in Hindi by Parveen Umm-e-Mushtaq. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.