दिल की चोरी में जो चश्म-ए-सुर्मा-सा पकड़ी गई

दिल की चोरी में जो चश्म-ए-सुर्मा-सा पकड़ी गई

वो था चीन-ए-ज़ुल्फ़ में ये बे-ख़ता पकड़ी गई

सुब्ह कू-ए-यार में बाद-ए-सबा पकड़ी गई

या'नी ग़ीबत में गुलों की मुब्तला पकड़ी गई

दिल चढ़ा मुश्किल से ताक़-ए-अबरू-ए-ख़मदार पर

सौ जगह रस्ते में जब ज़ुल्फ़-ए-रसा पकड़ी गई

जान कर आँखें चुराईं तू ने हम से बज़्म में

तेरी चोरी देख ली क्या बद-नुमा पकड़ी गई

है इसी में क़ल्ब-ए-महज़ूँ शर्तिया कहता हूँ मैं

खोल मुट्ठी तेरी चोरी मह-लक़ा पकड़ी गई

मस्त हो कर उस की ख़ुशबू से गिरा था बच गया

जब सँभलने को वो ज़ुल्फ़-ए-मुश्क-सा पकड़ी गई

हर तरफ़ सेहन-ए-चमन में कहती फिरती है नसीम

गुल से हँसती खिलखिलाती मोतिया पकड़ी गई

अपने हाथों पर लिए फिरते हैं वो हर दम हलफ़

आड़ क़समों की तो मुझ से बारहा पकड़ी गई

रुख़ से गुल को था तअ'ल्लुक़ ज़ुल्फ़ से सुम्बुल को मेल

एक जा गाँठा उसे ये एक जा पकड़ी गई

यार है ख़ंजर-ब-कफ़ और जाँ-निसारों का हुजूम

हाए ये किस जुर्म में ख़ल्क़-ए-ख़ुदा पकड़ी गई

आप ही का आसरा है आप कीजेगा मदद

हश्र में 'परवीं' अगर या मुस्तफ़ा पकड़ी गई

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In Hindi By Famous Poet Parveen Umm-e-Mushtaq. is written by Parveen Umm-e-Mushtaq. Complete Poem in Hindi by Parveen Umm-e-Mushtaq. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.