वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
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तराश कर मिरे बाज़ू उड़ान छोड़ गया
बारिश हुई तो फूलों के तन चाक हो गए
कौन जाने कि नए साल में तू किस को पढ़े
ज़ूद-पशीमान
बंद कर के मिरी आँखें वो शरारत से हँसे
बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात की
रफ़ाक़तों के नए ख़्वाब ख़ुशनुमा हैं मगर
ए'तिराफ़
गवाही कैसे टूटती मुआ'मला ख़ुदा का था
अब्र बरसे तो इनायत उस की
शाम आई तिरी यादों के सितारे निकले
लेकिन बड़ी देर हो चुकी थी