उस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई
जी नहीं ये मानता वो बेवफ़ा पहले से था
Rahat Indori
Anwar Masood
Gulzar
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Wasi Shah
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1035) Peoples Rate This
जगा सके न तिरे लब लकीर ऐसी थी
बोझ उठाए हुए फिरती है हमारा अब तक
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
रुख़्सत करने के आदाब निभाने ही थे
मशवरा
राय पहले से बना ली तू ने
रस्ता भी कठिन धूप में शिद्दत भी बहुत थी
देने वाले की मशिय्यत पे है सब कुछ मौक़ूफ़
रंग ख़ुश-बू में अगर हल हो जाए
रुकी हुई है अभी तक बहार आँखों में
बख़्त से कोई शिकायत है न अफ़्लाक से है
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा