तेरे तोहफ़े तो सब अच्छे हैं मगर मौज-ए-बहार
अब के मेरे लिए ख़ुशबू-ए-हिना आई हो
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कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की
क़दमों में भी तकान थी घर भी क़रीब था
पूरा दुख और आधा चाँद
ज़िंदगी बे-साएबाँ बे-घर कहीं ऐसी न थी
फ़बेअय्ये आलाए रब्बिकमा तुकज़्ज़िबान
अगरचे तुझ से बहुत इख़्तिलाफ़ भी न हुआ
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
गुलाब हाथ में हो आँख में सितारा हो
शब वही लेकिन सितारा और है
मुमकिना फ़ैसलों में एक हिज्र का फ़ैसला भी था
जिस तरह ख़्वाब मिरे हो गए रेज़ा रेज़ा
किसी के ध्यान में डूबा हुआ दिल