रफ़ाक़तों का मिरी उस को ध्यान कितना था
ज़मीन ले ली मगर आसमान छोड़ गया
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ख़्वाब
पा-ब-गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन
नहीं नहीं ये ख़बर दुश्मनों ने दी होगी
कुछ फ़ैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
अपने क़ातिल की ज़ेहानत से परेशान हूँ मैं
न जाने कौन सा आसेब दिल में बस्ता है
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की
सुंदर कोमल सपनों की बारात गुज़र गई जानाँ
निक-नेम
कौन जाने कि नए साल में तू किस को पढ़े
हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ