रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चाँद
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पास जब तक वो रहे दर्द थमा रहता है
वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आया
ये क्या कि वो जब चाहे मुझे छीन ले मुझ से
बोझ उठाते हुए फिरती है हमारा अब तक
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा
कल रात जो ईंधन के लिए कट के गिरा है
तेरी ख़ुश्बू का पता करती है
ख़ुद अपने से मिलने का तो यारा न था मुझ में
चारासाज़ों की अज़िय्यत नहीं देखी जाती
शब वही लेकिन सितारा और है
गुलाब हाथ में हो आँख में सितारा हो
जब साज़ की लय बदल गई थी