पा-ब-गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन
दस्त-बस्ता शहर में खोले मिरी ज़ंजीर कौन
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Rahat Indori
Gulzar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
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तेरे तोहफ़े तो सब अच्छे हैं मगर मौज-ए-बहार
ये क्या कि वो जब चाहे मुझे छीन ले मुझ से
अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई
अब भला छोड़ के घर क्या करते
लड़कियों के दुख अजब होते हैं सुख उस से अजीब
हारने में इक अना की बात थी
मसअला
रात के शायद एक बजे हैं
क़ैद में गुज़रेगी जो उम्र बड़े काम की थी
खुलेगी उस नज़र पे चश्म-ए-तर आहिस्ता आहिस्ता
अपनी रुस्वाई तिरे नाम का चर्चा देखूँ
मैं उस की दस्तरस में हूँ मगर वो