नहीं नहीं ये ख़बर दुश्मनों ने दी होगी
वो आए आ के चले भी गए मिले भी नहीं
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
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Parveen Shakir
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Jaun Eliya
Anwar Masood
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हाथ मेरे भूल बैठे दस्तकें देने का फ़न
सुंदर कोमल सपनों की बारात गुज़र गई जानाँ
सभी गुनाह धुल गए सज़ा ही और हो गई
जला दिया शजर-ए-जाँ कि सब्ज़-बख़्त न था
शब वही लेकिन सितारा और है
क़ैद में गुज़रेगी जो उम्र बड़े काम की थी
न जाने कौन सा आसेब दिल में बस्ता है
शब की तन्हाई में अब तो अक्सर
रुकी हुई है अभी तक बहार आँखों में
सिर्फ़ एक लड़की
रुख़्सत करने के आदाब निभाने ही थे
अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई